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॥ श्री शंकर जी की प्रार्थना ॥(३)

हे बम भोला सुनिये मोरी।

सब चोरन मिलि हम से घर में पकड़ लिहिन धन छोरी।

मन को खींचि बनाइन भेदिया बस गया उनकी ओरी।

हम ग़रीब नित भूखन मरते गावत तानें तोरी।

आप की जटा में गंग बिराजै पकड़ इन्हैं दो बोरी।५।

 

होंय अधमरे भागैं कैसे तब यह करैं चिरौरी।

फेरि सांप बीछुन से इनको कटवाओ बरजोरी।

अंधे कहैं संग तब छोड़ैं हम मन लैं धन जोरी।८।