॥ श्री हनुमान जी की प्रार्थना ॥(६)
हे बजरंग सम्हारो चोरन।१।
बज्र गदा तुम्हरे कर सोहत दुष्टन के सर फोरन।२।
मन को संग सहेज गरजते रहि रहि देत हिलोरन।३।
अंधे शाह करैं यह बिनती चितओ दृगन की कोरन।४।
हे बजरंग सम्हारो चोरन।१।
बज्र गदा तुम्हरे कर सोहत दुष्टन के सर फोरन।२।
मन को संग सहेज गरजते रहि रहि देत हिलोरन।३।
अंधे शाह करैं यह बिनती चितओ दृगन की कोरन।४।