॥ श्री हनुमान जी की प्रार्थना ॥ (२)
पवन सुत दुख अब मोर हरो।१।
जो जन भजन करै प्रभु तेरो तेहि यम काल डरो।२।
अन्धे शाह कहैं यह बिनती सुनि उर माँहि धरो।३।
राम नाम का दान देउ मोहिं भव निधि जियत तरौं।४।
पवन सुत दुख अब मोर हरो।१।
जो जन भजन करै प्रभु तेरो तेहि यम काल डरो।२।
अन्धे शाह कहैं यह बिनती सुनि उर माँहि धरो।३।
राम नाम का दान देउ मोहिं भव निधि जियत तरौं।४।