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३१० ॥ जिन्दा श्री प्रेमा माई जी॥(२)

पद:-

हम दीन गरीबों के भगवान तुम्हीं हो, गुरुदेव दयामय॥

अशरण-शरण औ करुणानिधान तुम्हीं हो, गुरुदेव दयामय॥

बिगड़ी मेरी सुधारो, भगवान मुझे उबारो,

सबसे कृपालु सबमें महान तुम्हीं हो, गुरुदेव दयामय॥

भव-सिंधु में पड़ी हूँ, भँवरों में मैं फँसी हूँ,

मुझ डूबती दुखिया के जलयान तुम्हीं हो, गुरुदेव दयामय॥

हिरदय में मेरे आओ, दरशन मुझे दिखाओ,

भक्तों के लिये भगवन सुखखान तुम्हीं हो, गुरुदेव दयामय॥

अधमों के लिये प्रभुवर, निर्वान तुम्हीं हो, गुरुदेव दयामय।६।

 

(नोट:-

श्रीमती प्रेमा माई जी जब जीवित थीं तब उनका यह पद श्री परमहंस राम मंगल दास जी ने इस दिव्य ग्रन्थ-४ में सम्मिलित कर लिया था।)