३४ ॥ पंडित श्री बास जी ॥
रामा बाय कृष्णा बाय राघो बाय यादो बाय।
बिष्णु बाय केशव बाय माधव बाय हरी बाय।
श्री राम जय राम जय जय राम।
श्री श्याम जय श्याम जय जय श्याम।
श्री कृष्ण जय कृष्ण जय जय कृष्ण।५।
श्री बिष्णु जय बिष्णु जय जय बिष्णु।
जै राम जै कृष्ण जय बिष्णु जय श्याम।
हरे राम हरे कृष्ण हरे बिष्णु हरे श्याम।
नमो राम नमो कृष्ण नमो बिष्णु नमो श्याम।
श्री राम श्री कृष्ण श्री बिष्णु श्री श्याम।१०।
नमो रामो नमो कृष्णो नमो बिष्णो नमो श्यामो।
हरे रामो हरे कृष्णो हरे बिष्णो हरे श्यामो।
श्री रामो श्री कृष्णो श्री बिष्णो श्री श्यामो।
राम लला गोपाल कहौ बृद्ध तरुण औ बाल।
हरी बोल कृष्ण बोल राम बोल श्याम बोल।१५।
राघव बोल यादव बोल माधव बोल केशव बोल।
राम बोल कृष्ण बोल बिष्णु बोल श्याम बोल।
हरी बोल हरी बोल हरी बोल हरी बोल।
गोविन्द गोविन्द गोविन्द बोल।
गोविन्द माधव केशव बोल।२०।
राघव बिष्णु यादव बोल।
हरि हरि बोल हरि हरि बोल हरि हरि बोल हरि हरि बोल।
सिया राम बोल राधे श्याम बोल रमा बिष्णु बोल श्याम श्याम बोल।
राम राम बोल राम राम बोल राम राम बोल राम राम बोल।
कृष्ण कृष्ण बोल कृष्ण कृष्ण बोल कृष्ण कृष्ण बोल
कृष्ण कृष्ण बोल।२५।
बिष्णु बिष्णु बोल बिष्णु बिष्णु बोल बिष्णु बिष्णु बोल बिष्णु बिष्णु बोल।
श्याम श्याम बोल श्याम श्याम बोल श्याम श्याम बोल श्याम श्याम बोल॥
पद:-
भजो सिय राम राधे श्याम लक्षमी बिष्णु को भाई।
मातु पितु बन्धु औ भगिनी नारि सुत पुत्री मित्रताई।
छूटि सब जायंगे यहां पर संग में कोइ नहिं जाई।
पकरि यमदूत लै चलिहैं कहौ तब कौन छोड़वाई।
कष्ट यम पुर में ऐसे हैं बरनि तिनको कौन पाई।५।
जियत में जानि जब लैहौ तभी पहुँचा वहां जाई।
बिना गुरु के नहीं मिलते बचन यह सत्य बतलाई।
कहैं श्री बास दुतिया को छोड़ि जो देय सो पाई।८।