३८६ ॥ श्री रमजानी शाह ॥(३)
पद:-
चारि बोल से माया पकड़ै चौपट करि कै छोड़ै जी।१।
हां हां, आ हा, ओ हो, सी सी कहि के नाता जोड़ै जी।२।
साधक या के अर्थ न जानै बार बार जग गोड़ै जी।३।
कहैं रमज़ानी शाह दीन बनि सतगुरु करि मुख मोड़ै जी।४।
पद:-
चारि बोल से माया पकड़ै चौपट करि कै छोड़ै जी।१।
हां हां, आ हा, ओ हो, सी सी कहि के नाता जोड़ै जी।२।
साधक या के अर्थ न जानै बार बार जग गोड़ै जी।३।
कहैं रमज़ानी शाह दीन बनि सतगुरु करि मुख मोड़ै जी।४।