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३९२ ॥ श्री सरारात शाह जी ॥

पद:-

सतगुरु करि सुमिरन बिधि जानो छूटै गर्भ का झुल्लम झुल्ला।

सिया राम की झांकी सन्मुख दर्शन होवैं खुल्लम खुल्ला।

सुर मुनि मिलैं सुनो घट अनहद अमृत पीवो कुल्लम कुल्ला।

नागिन जगै चक्र सब बेधैं कमल उलटि हों फुल्लम फुल्ला।

ध्यान प्रकाश समाधि नाम धुनि हर शै से हो तुल्लम तुल्ला।५।

 

नर तन पाय सुकृत नहिं कीन्ह्यो जम बांधै गहि चुल्लम चुल्ला।

नाना कष्ट देंय गरियावैं राम नाम क्यों भुल्लम भुल्ला।

कौन सहायक यहं पर तेरा कर्म भोग ले रुल्लम रुल्ला।८।