४९ ॥ श्री बृहस्पति जी ॥
दोहा:-
राम नाम सुमिरन करै छोड़ि कपट व्यवहार ।
जो जैसो भोजन करै वैसै उठै डकार ॥१॥
स्वाद चहै अजपा जपै आवागमन नसाय ।
रोम-रोम ते नाम धुनी, हर दम रूप दिखाय ॥२॥
दोहा:-
राम नाम सुमिरन करै छोड़ि कपट व्यवहार ।
जो जैसो भोजन करै वैसै उठै डकार ॥१॥
स्वाद चहै अजपा जपै आवागमन नसाय ।
रोम-रोम ते नाम धुनी, हर दम रूप दिखाय ॥२॥