५२९ ॥ श्री मोहन शरण जी रसिक ॥
(श्री अवध प्रमोद वन)
पद:-
राम कृष्ण नारायण मंत्र में भेद न कोई लावो।
तीनो एकै गती देत है ह्वै निष्काम जो ध्यावो।
ध्यान प्रकाश समाधि नाम धुनि रग रोवन सुनि पावो।
अनहद सुनो देव मुनि दर्शैं अमी पाय हर्षावो।
राम सिया प्रिय श्याम रमा हरि की छवि सन्मुख छावो।
मोहन शरन कहैं तन तजि कै गर्भ वास नहिं पावो।६।