६८० ॥ महात्मा फर्रुख शाह जी ॥
बांस मंडी, कानपुर
(क्वार बदी १० इतवार, समय ३ बजे रात, संवत १९९६)
पद:-
सहज सनेह राम सीता पद मुरशिद बिन नहिं कोई पावै।
बार बार बर मांगत काहे सूरति शब्द पै क्यों नहि लावै।
ध्यान प्रकाश समाधि नाम धुनि हर दम हर शै से भन्नावै।
कौसर पियै सुनै घट अनहद सुर मुनि मिलैं लिपटि उर लावै।
नागिन जगै चक्र षट घूमैं सातौं कमल खिलैं लहरावै।५।
खुशबू उड़ै मुअत्तर तन मन क्या बरनै मुख बोल न आवै।
छबि सिंगार छटा अति बांकी झांकी जुगुल सामने छावै।
कहैं फर्रुखशाह तन छूटै जाय वतन नहिं खलक पै आवै।८।