॥ वैकुण्ठ धाम के अमृत फल २८ ॥ (विस्तृत)
३७१. जीवों पर दया, चीटी चूंगा (अन्न) खिलाते हैं। यह सब भजन की शाखा है।
३७२. पद:-
राम नाम सुमिरन करो, राखो सबसे मेल।
दीन नाथ दयालु से, हो जावेगा मेल॥
३७३. भक्त की परीक्षा हजारन दफे (हजारों बार) भगवान करते हैं। अपना तकलीफ सह लो, दूसरे को आराम पहुंचाओ, इसके समान कोई भजन नहीं है।
३७४. शुभ काम करने लगे बस दर्शन होने लगे। रास्ते में कील कांटा पड़ा हो उठा लो। सबकी सेवा करो, मन लगने लगेगा।
३७५. चाहे जितना पाप किये हो, अगर मरते समय राम कृष्ण गोविन्द कान से सुन लो, तो माफ हो जाता है।
३७६. भजन समय मन निरंकार (भगवान) में लीन रहे।
३७७. खान पान सादा हो। तर माल खाने से भजन न होगा। ४ बात बेखता बेकसूर कोई कहे तो हाथ जोड़ दो। कोई तारीफ करै तो खुश न हो, कोई बैर करै रंज न हो।
३७८. ५ माला सुबह पूरब मुंह, ५ माला शाम पच्छिम मुंह करें। सहन शक्ति की बड़ी जरूरत है। घूर बन जाओ।
३७९. (व्यापार में) थोड़े नफे (मुनाफे) पर बरकत भगवान बहुत देते हैं।
३८०. एक भक्त के लिए:-
इनको साढ़े ८ की गाड़ी से भेज दो। तुम्हारा मन जैसा कहे रहने को तो रूको न कहे तो जाओ। इन सबको तकलीफ न हो तुम तकलीफ सह लो। तब तुम्हारी भक्ति ठीक भगवान के यहाँ लिखी जावेगी।
३८१. शान्ति, दीनता दोनों माता हैं। इनकी गोद मे रहने से त्याग, प्रेम, भक्ति, श्रद्धा, सन्तोष सब हृदय में आ जाते हैं।
३८२. तिल भर भी अन्दर से बैर न हो। सब जीवों में भगवान हैं। दया सब जीवों पर करना। सेवा परोपकार करने से बढ़कर कोई धर्म नहीं। तीर्थ करना, व्रत करना, उपवास करना, दान पुण्य करना, हमारे पास आना, भजन करना बेकार है सहन शक्ति जब तक नहीं होगी।
३८३. भक्त के साधक के लक्षण श्रद्धा प्रेम से सुनो, उस पर चलो तब तुमको सुख मिले। घर भर को सुख मिले। धन धान्य से घर भरपूर रहे। जो बताया जा रहा है उस पर विश्वास कर लो। काम बन जाय।
३८४. किसी से कहा:
तुम्हारा पैदायशी दोष है। कर्म से नरक, कर्म से शुभ गती होती है। थोड़े दिन जो बताया है, मन से जबरदस्ती करके चल परो, कल्याण हो जाय। रोज चिडि़यन को आटा, गुड़ चीटियों को दिया करो। तुम घर की मालकिन हो, सब को खुश रक्खोगी, भगवान तुमसे खुश होंगे आर्शीवाद भेज देंगे।
३८५. मन बदमास है। मान, अपमान, क्रोध कसाई, छल, कपट, बैर, हृदय में रहने से पूजा पाठ भजन सब जुर्माना में कट जाता है। तुम अपने मन की मानती हो। किसी की और हम जो बताते उस पर नहीं चलती हो। रोने से आंखें, दुखी रहने से शरीर और खराब हो जावेगा। जो मौत और भगवान को भूले हैं, मनमानी करते हैं। सत्य के बराबर कोई तप नहीं, दया भीतर से रखने के बराबर कोई धर्म नहीं।