३४ ॥ श्रीमद् गोस्वामी तुलसीदास जी ॥ दोहा:- भक्तियोग वैराग अरु, ज्ञान ध्यान नहिं काम । तुलसी के मन रमि गये, राम राम जै राम ॥१॥