१०१ ॥ श्री चतुर्भुजी जी ॥
दोहा:-
राम नाम परभाव हम, देखि प्रत्यच्छै लीन ।
दुइ भुज ते भे चारि भुज, कृपानिधी ने कीन ॥१॥
राम नाम अनमोल है, ह्वै जावै जो दीन ।
तौ हरि के पासै रहै, हम से गुरु कहि दीन ॥२॥
दोहा:-
राम नाम परभाव हम, देखि प्रत्यच्छै लीन ।
दुइ भुज ते भे चारि भुज, कृपानिधी ने कीन ॥१॥
राम नाम अनमोल है, ह्वै जावै जो दीन ।
तौ हरि के पासै रहै, हम से गुरु कहि दीन ॥२॥