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११६ ॥ श्री जयदेव जी ॥


दोहा:-

है सब में सब से परे परमात्मा हमार ।

सतगुरु देंय लखाय जेहि होवै जैजै कार ॥१॥

या से वाद विवाद तजि लेव शरनि ह्वै दीन ।

पार होय संसार से सत्य वचन कहि दीन ॥२॥