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१२५ ॥ श्री ध्रुव जी ॥


दोहा:-

श्री नारद गुरू मोहिं मिले विपिन महिं जब आय ।

द्वादश अक्षर मंत्र का दीनों भेद बताय ॥१॥

पाँच वर्ष की आयु में छः महिना जप कीन ।

श्री विष्णु भगवान जी आय के दर्शन दीन ॥२॥


चौपाई:-

तब वरदान मोहिं हर दीना। राज्य करो तुम पुत्र प्रवीना ॥१॥

फिर तुम आवहु धाम हमारे। अचल दीन पद तुमको प्यारे ॥२॥