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१५० ॥ श्री सूर्य देव जी ॥


दोहा:-

नाम राम का रेफ है, जो गुरु देंय बताय ।

तब दिन पर दिन सुख बढ़ै, अनहद शब्द सुनाय ॥१॥

रूप सदा सन्मुख रहै, मुख से कहा न जाय ।

रोम रोम ते धुनि उठै, रा रा कार कि भाय ॥२॥

जियत में मुक्ती तब भई, गयो भक्ति को पाय ।

या से देरी मत करो, कीजै यही उपाय ॥३॥