१९ ॥ श्री अली शाह जी ॥
पद:-
मार्ग मुरशिद ने बताया है जय जय कार हुई।
भव के बन्धन से छुटाया है जय जय कार हुई।
स्वप्न में जिस का न आया था कभी मुझ को ख्याल।
वह इन नैनों से दिखाया है जय जय कार हुई।
प्रेम तन मन से करो सच्चे बनो आशिक तो।५।
देखो सब में तो समाया है जय जय कार हुई।
दुई को छोड़ कर हो जावै दीन जौन कोई।
पास ही में वास वह पाया है जय जय कार हुई।
खेलता खेल अकेला है वह प्यारा सबका।
जिसने यह सृष्टि बनाया है जय जय कार हुई।१०।
रूप की छवि को कौन वरनन कर सकता है अली।
जानकी जान हम पाया है, जय जय कार हुई।१२।
शेर:-
जिक्र करने से फिक्र छूटती है कहते अली।
प्रेम में चूर हो जाओगे मिलै तब तो गली॥