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१०९ ॥ श्री हकीम अरस्तू जी ॥


पद:-

हम हर दम नाम की धुनि सुनते सरकार औ महरानी की जय।

अद्भुद दोनो झांकी लखते सरकार औ महरानी की जय।

सब सुर मुनि दरशन नित देते सरकार औ महरानी की जय।

नित ध्यान पैगम्बर का करते सरकार औ महरानी की जय।

फुरसत मिलि गई इस दुनिया ते सरकार औ महरानी की जय।५।

यह भेद मिला मोहिं मुरशिद से सरकार औ महरानी की जय।

छबि निरखि निरखि कै हम हंसते सरकार औ महरानी की जय।

सच कहैं अरस्तू यह तुमसे सरकार औ महरानी की जय।८।


शेर:-

नुसखा बड़ा अजीब है मुरशिद से लीजिये।

सुनिये धुनी को नाम की नित दर्श कीजिये।१।

कहते अरस्तू सच है इस रंग में भीजिये।

आना व जाना छूटै कसरत तो कीजिये।२।