१३२ ॥ श्री अन्न पूर्णा जी ॥
पद:-
अनन्त रूप अनन्त नाम अनन्त चरित अनन्त धाम।
धुनि अखण्डित सुनो नाम सन्मुख में हों राम श्याम।१।
सर्गुण निर्गुण अकाम, सारा उन्हीं क काम।
जपिहैं जे अष्ट याम यहँ वहँ हो तिनका नाम।२।
पद:-
अनन्त रूप अनन्त नाम अनन्त चरित अनन्त धाम।
धुनि अखण्डित सुनो नाम सन्मुख में हों राम श्याम।१।
सर्गुण निर्गुण अकाम, सारा उन्हीं क काम।
जपिहैं जे अष्ट याम यहँ वहँ हो तिनका नाम।२।