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१७१ ॥ श्री द्वारिका पुरी जी ॥


चौपाई:-

श्यामै तन मन धन सुख सारे। श्यामै नाम रूप लखु प्यारे।१।

श्यामै सब दिशि परै देखाई। कहैं द्वारिका पुरी सुनाई।२।