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२२३ ॥ श्री दारा जी ॥


शेर:-

गदाओं क है क्या अजब ही तमाशा।

रहैंगे जहां में सबों से निराशा।१।

कहैं दारा उनके कदम सिर्फ पकड़ो।

चलो भिश्त में फिर न दोज़ख़ में जकड़ो।२।