२३७ ॥ श्री सुतीक्षण जी ॥ चौपाई:- राम मयी सब सृष्टी भाई। रामै अपनै ते प्रगटाई।१। कहै सुतीक्षण तन मन लाई। रामै सुर मुनि भजत सदाई।२।