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३३४ ॥ श्री मणीराम दास जी ॥

(अवध वासी)
 

चौपाई:-

नाम जपै सन्तन सनमानै। पूजा पाठ में भेद न मानै।१।

हरि के कार्य में तन मन लावै। सो हरि धाम में बैठक पावै।२।

साधारण रीती यह जानै। तन मन प्रेम लगाय के मानै।३।

मनि राम कहैं सो सुख पावै। पर नारायण के ढिग जावै।४।