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३७० ॥ श्री यमुना दास जी ॥

(अवध वासी)

 

 चौपाई:-

जल में पैठि कै सुमिरेन नामा। पायन अन्त समय हरि धामा।१।

यमुना दास कहैं यह बानी। सुमिरै जाको जस मन मानी।२।