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४२७ ॥ श्री लक्कड़ नाथ जी ॥


चौपाई:-

राम नाम सम नाम न दूजा। सुर मुनि भजत सबन में गूँजा।१।

लक्कड़ नाथ कहैं गोहराई। सुमिरै नाम सो हरि ढिग जाई।२।