४३३ ॥ श्री तुका राम जी ॥
चौपाई:-
तुका राम कहै हम तुम त्यागै। तब जीव हरि चरण में लागै।१।
तन मन प्रेम एक रस पागै। भव बन्धन ते हंसि के भागै।२।
चौपाई:-
तुका राम कहै हम तुम त्यागै। तब जीव हरि चरण में लागै।१।
तन मन प्रेम एक रस पागै। भव बन्धन ते हंसि के भागै।२।