४४४ ॥ श्री गजोधर बख्स जी ॥ दोहा:- कर्म धर्म छोड़ै नहीं, सो बैकुण्ठ को जाय। कहैं गजोधर बख्स यह, सत्य तुम्हैं बतलाय॥