४९४ ॥ श्री झल्लर शाह जी ॥
पद:-
कहता है झल्लर शाह मुरशिद बिना हाथ न आयगा।
पास ही में है तेरे वरज़िस बिना किमि पायगा।
सूरति लगा कर शब्द पर जब ख्याल प्यारे लायगा।
दरशैं कन्हैया राधिका सँग छटा सन्मुख छायगा।
धुनि ध्यान लय परकाश पाकर मस्त तू बन जायगा।५।
जियतै में इच्छा पूर हों तन त्यागि हरि ढिग धायगा।
यह खेल अगम अथाह है कहने से नहीं सेरायगा।
जो दीन बनि जावैं यहां सोई अमी फल खायगा।८।