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१६ ॥ श्री परागा माई जी ॥


पद:-

श्याम की छवि औ छटा श्रृंगार अजब बा।१।

देखत बनै बनै नहिं बरनत तन मन को करि दीन गजब बा।२।

भूषन वसन न भोजन भावत गृह आँगन सब भूलि गयन बा।३।

एक दफै नैनन भरि देखा जो न मिलौ तो तलफि मरब बा।४।