१०३ ॥ श्री सिद्धेश्वरी जी ॥
पद:-
झूठी बातों में क्या है धरा भाइयों,
याद कर लो यहाँ राधिका श्याम की।१।
पाय नर तन बने हाय हैवान क्यों,
अपने हाथों से अपनी ज़वां खाम की।२।
कर के सतगुरु न पारस लिया पास था,
दौरते ही रह्ये दौर वसु याम की।३।
कहते सिद्धेश्वरी दूत मज़बूत आ
अन्त पूछैंगे थैली दिहेव दाम की।४।