१३० ॥ श्री लाला राम बक्स जी ॥
पद:-
राम नाम को जानि ले मैना।
यह पिंजड़ा है चन्द रोज का छोड़ कपट के घैना।
सतगुरु करि सुमिरन अब कर तू तब तन मन हो चैना।
ध्यान प्रकाश समाधि नाम धुनि होवै वसु औ रैना।
सन्मुख राधेश्याम की झांकी दरशै नेक टरै ना।
तन तजि अचल धाम में राजो मानो गर मम बैना।६।