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२०० ॥ श्री गोजर शाह जी ॥


पद:-

सुनु मन नाम धुनि रं कार।

जाप विधि सतगुरु से जानो जाय खुलि एकतार।

ध्यान लय परकाश होवै अमित रवि उजियार।

जानकी सँग राम सन्मुख रहैं तव निशि वार।

देव मुनि सब दर्श देवैं करैं जय जय कार।५।

ब्रह्म अगिनी में कर्म दोनौ होंय जरि के क्षार।

साज अनहद बजै घट में ताल सम मदमार।

कहैं गोजर शाह जियतै जाव बनि मतवार।८।