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२०२ ॥ श्री कँचन शाह जी ॥


पद:-

सुनु मन राम नाम कि तान।

जाप विधि सतगुरु से लैकर चलो बनि बलवान।

धनुष सूरति का बनाय कर शब्द का धरु बान।

रूप पर तव लक्ष होवै लेंय गोद में आन।

मातु पितु सिय राम सबके देत खान औ पान।

कहैं कँचन शाह जियतैं देंय पद निर्वान।६।