४४० ॥ श्री हलचल शाह जी ॥ (३)
पहिरो राम नाम की झूल।
सतगुरु करि सुमिरन विधि जानो जियत मिटै सब शूल।
ध्यान प्रकाश समाधि नाम धुनि सुनौ करै को तूल।
सुर मुनि मिलैं सुनो घट अनहद पिओ अमी अनुकुल।
सिया राम की झांकी सन्मुख जो सब जीवन मूल।
अन्त त्यागि तन निजपुर बैठो जग छूटै जिमि धूल।१०।