५०० ॥ श्री फट फट शाह जी ॥
शेर:-
सब पदारथ चार देवैंगे समय पर जो लिखे।१।
कहते हैं फट फट शाह मानो हम भी तो कुछ हैं सिखे।२।
पद:-
बारो चिराग यारों देखो बहार घट में।
मुरशिद से भेद जानो सब राम नाम रट में॥
मुरली मधुर बजावैं घनश्याम यमुना तट में।
धुनि ध्यान नूर पावो पहुँचो फिर लय के पट में।
संसार सब बंधा है सरकार ही के लट में।
फट फट कहैं गुनो तो जिमि बीज वृक्ष वट में।६।
पद:-
निर्गुन निराकार बनि सर्गुन हर दम भक्तन मुख जोवैं।
भोग भोगावैं भेद बतावैं बस्तर मल धोवैं।
मग भूलैं तो चलैं अगाड़ी निशि में संघ सोवैं।
हंसि हंसि तेल लगावैं शिर में खेत जाप बोवैं।
खांय खिलावैं फल लै मधुरे पाक पाक टोवैं।५।
दालि बनावैं भात बनावैं रोटी हु पोवैं।
चापैं चरण भुलावा दैकर मग का श्रम खोवैं।
फट फट कहैं भजै मुरशिद करि ते नहिं जग रोवैं।
शेर:-
हम में न कुछ तुम में न कुछ सब कुछ भरा एकै हरफ़।
फट फट कहैं मुरशिद करो यारों चलो तो उस तरफ़॥
पद:-
प्रिय श्याम की लीला लखौ सब सखा सखियां साथ में।१।
भूषन बसन साजे अजब मुरली लिये प्रभु हाथ में।२।
केशर तिलक रबि भोर सम छवि देत हरि के माथ में।३।
फट फट कहैं सब में रमें सब रमें प्रिय यदुनाथ में।४।
पद:-
करत हरि भक्तन संग लड़िकैयां।१।
मुख चूमत कांधे चढ़ि बैठत भाजत बैयां बैयां।२।
भक्त खवावत खात हंसत औ बोलत नहियां नहियां।३।
फट फट शाह कहैं मुरशिद करि निरखौ रहियां रहियां।४।
पद:-
श्याम प्रिय खेलत पांसा सारी।
प्रिय की जीत होय तब सखियां हंसैं सबै दै तारी।
जीतैं श्याम सखा सब कूदैं बोलैं जय जय कारी।
राधे पांसा चट उठाय कै दें जब नीचे डारी।
श्याम लाड़िली के मुख पर कर देवैं हंसि दोउ मारी।५।
श्यामा तब हरि को मुख चूमैं बोलैं हंसि बलिहारी।
मुरशिद करै लखै सो लीला देखी बात हमारी।
शान्ति दीनता गहि सुख लूटौ फट फट कहत विचारी।८।
शेर:-
फट फट कहैं हरि को भजो तन मन वो प्रेम में हो गरक़।
मुरशिद से सुमिरन जान लो पल भर न होवै तब फरक॥
कवित्त:-
यशुदा की उछंग में उमंग से विराजैं श्याम देव मुनि धन्य धन्य कहैं
पितु मातु जी।
दहिने दिश ठाढ़े कर थाम्हे क्या शोभा देत गौर रंग सोहैं प्यारे बलिराम
तात जी।
प्रेम की तरंग में खड़े हैं नन्द सन्मुख में बेला हेम दहिने कर
तामे दूध भात जी।
छवि श्रंगार छटा लखि सुधि बुधि भूली पुलकावलि रोम रोम फूल्यो
सब गात जी।
कण्ठा अवरोध भयो नयनन में नीर छयो कहै कौन भांति बोलैं मुख
नेक बात जी।५।
झांकी कवन बरनै शेष शारद चुप चाप बैठे काम रति देखि गिरे लागी
जनु लात जी।
मुरशिद करि नाम गहौ दीन बनि शान्ति रहो फट फट के बैन गहौ
काढ़ौ मति दांत जी।
जारी........