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५३५ ॥ श्री शीलवती माई जी ॥


पद:-

बिना सतगुरु नहीं मिलता नाम अनमोल है मोती।

जानि जप विधि ओनावो तो धुनी एकतार है होती।

ध्यान परकाश लय पावो भजै सारी अजा रोती।

लखौ सिया राम को सन्मुख अमित ब्रह्मांड जिन जोती।

रहै जब तक जगत में तन रहो हरि नाम को बोती।

अन्त तन त्यागि निजपुर लो वृथा हा बैस क्यों खोती।६।