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५७६ ॥ श्री डाकू त्योकर खाँ जी ॥

  (शिष्य श्री गौराह्ग जी)

 

पद:-

सतगुरु करो हरि नाम लो हों पाप सारे नाश जी।

धुनि ध्यान लय परकाश पाकर होहु जियतै पास जी।

अमृत पिओ अनहद सुनो सुर मुनि मिलैं नित गांस जी।

सन्मुख में स्यामा श्याम राजैं जौन सुख की रास जी।

निर्वैर निर्भय एक रस भगि जाय जग की आस जी।

त्योंकर कहैं तन छोड़ि कर चलि लो अचलपुर बास जी।६।