६०९ ॥ श्री छैल बिहारी खत्री जी ॥
पद:-
हरि श्याम रंग गभुवारे बाल, हंसि ठुमुक ठुमुक के चलत चाल।
नयनन काजल अनखा है भाल, उर में कठुला बघनखा आल।
पहिने झिंगुली हैं अति विशाल, कटि में किंकिणी पग पौटा डाल।
कर राजत मुरली सात साल, फूंकैं जब सुर मुनि हों निहाल।
संग लला लली करते उछाल, क्या झुण्ड झुण्ड दै तारी ताल।
सतगुरु करि निरखौ कटै जाल, सूरति धरि नाम पै करो ख्याल।६।