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६६१ ॥ श्री हकूमत शाह जी ॥


पद:-

अरे बेहोश मुरशिद कर सखुन ये मान ले मेरे।

होश हो जायगा तुझको देव मुनि तन में हैं तेरे।

बेद औ शास्त्र तन धरि धरि कदम चूमैंगे आ तेरे।

तीर्थ सब रूप धरि गौवन क तन चाटैं रहैं घेरे।

ध्यान धुनि नूर लय होवै कटैं भव जाल के फेरे।५।

सामने राधिका मोहन खुले नैनन तुझे हेरें।

सुरति को नाम पर धरि कर खोलि ताला अपन ले रे।

हकूमत शाह कह चेतो तुम्हैं निज मानि हम टेरें।८।