साईट में खोजें

६७४ ॥ श्री अला हुसेन जी ॥


पद:-

भजु मन खोदा अल्ला मियां।

जाप बिधि मुरशिद से सीखो हटे परदा सिया।

ध्यान लय परकाश धुनि हो जौन सब का बिया।

सुनौ अनहद चखौ कौसर होय निर्मल हिया।

देव मुनि संघ खाँय खेलैं, कहैं तन फल लिया।५।

छटा छबि श्रृँगार झाँकी सामने में किया।

जानि करतल करै जियतै तौन जुग जुग जिया।

छोड़ि तन निज घर सिधारै, बास पास में दिया।८।