साईट में खोजें

६७६ ॥ श्री राम लाल भाट ॥

(बरेली)

पद:-

ठुमुकि ठुमुकि चलत चाल कृष्ण चन्द्र जसुदा लाल।

अद्भुत घुँघराले बाल, लटकत छबि देत गाल,

निरखत सुर मुनि निहाल।

भूषन औ बसन आल, केशरि को तिलक भाल, उर में भृगु पद बिशाल।

वंशी में सुभग शाल, कूकत फिर देत ताल, प्रगटत सब गोपी ग्वाल।

नाचत करि करि उछाल, दौरत हँसि हाल हाल, गोफा गले डाल डाल।

भाषै यह राम लाल, सतगुरु करि करौ ख्याल, जियतै हो मालामाल।६।