६९९ ॥ श्री सरदार खां जी ॥ (२)
जानो राम नाम की ताकत।
सतगुरु करि सुमिरन में लागो काहे बारू फांकत।
ध्यान प्रकाश समाधि नाम धुनि जो बिधि लेख को आँकत।
नागिन जगै चक्र षट नाचैं कमल खिलैं अति महकत।
सारे दैत्य बिदा होंतन ते हाय हाय करि काँखत।५।
सिया राम प्रिय श्याम रमा हरि हर दम सन्मुख झाँकत।
है परताप नाम का सब युग अमित पाप को हाँकत।
अंत समय जो श्रवण जाय परि तौ भव ताप को ढांकत।
सुर मुनि बेद भनैं निसि बासर वाको डंका डहंकत।
जे नहिं जानैं ते किमि मानैं नाना जोनिन बहंकत।१०।