८२१ ॥ श्री खलीला जी ॥
पद:-
हर जगह हर दम रहैं सिय राम सब जन जानि लो।
मुरशिद करो फ़ौरेव का परदा हटै पहिचान लो।
परकाश ध्यान समाधि हो हरि नाम धुनि की तान लो।
संसार से होकर रिहा हरि पुर चलो बैठान लो।
संग की मूरति के सम हो फिर न कुछ जल पान लो।५।
राज मारग को गहौ मानो कहा यह ज्ञान लो।
हर समय देखो छटा तन मन से ताना तान लो।
देव मुनि खेलैं हंसै बोलैं जियत सुख खान लो।
कहती खलीला प्रेम में अब जान अपनी सान लो।९।