८३३ ॥ श्री झीटा जी ॥
पद:-
श्री सरजू श्री सरजू श्री सरजू के तट जावो।
वहां बैठो वहां बैठो वहां बैठो तो सुख पावो।
दृगन मूंदौ दृगन मूंदौ दृगन मूंदौ पता पावो।
मिलैं सुर मुनि मिलैं सुर मुनि मिलैं सुर मुनि तो हर्षावो।
नहा करके नहा करके नहा करके चले आवो।५।
बतावो क्या बतावो क्या बतावो क्या औ मुसक्यावो।
कपट त्यागो कपट त्यागो कपट त्यागो तो बनि जावो।
बहै धारा बहै धारा बहै धारा पय लखि पावो।
पुरी दर्शै पुरी दर्शै पुरी दर्शै तो गुन गावो।
सदा सन्मुख सदा सन्मुख सदा सन्मुख दरश पावो।१०।
करो सतगुरु करो सतगुरु करो सतगुरु न पछितावो।
कहैं झीटा कहैं झीटा कहैं झीटा तन मन लावो।१२।