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८६७ ॥ श्री उर्वशी जी ॥


पद:-

कफ़े दस्तौं से क्या रुकसार हरि के छूने काबिल हैं।

नहीं कोइ देव मुनि ऐसे मेरे लखने में काबिल हैं।

बलायें जिनको मिल जायें वही दुनियां में काबिल हैं।

मादर फादर पिसर सौहर फंसा लेने में काबिल हैं।

अन्त हरि नाम ही भव से छुटा देने में काबिल हैं।

ऊर्वशी कह बसे सब में औ सब से बिलग काबिल हैं।६।