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१६ ॥ श्री राम नारायण जी ॥


पद:-

राधे रंग गौर पीत माधो रंग नील श्याम

कोटिन रति मदन लाजै अदभुद क्या झाँकी।१।

बेंदी औ कर्ण फूल कुण्डल औ क्रीट चमक

एकै में लपट मिलत लागत क्या बांकी।२।

प्यारी गले बाँह डारे मुरली हरि अधर धारे

सुर मुनि नभ ते निहारें सूरति हिय टांकी।३।

सुमिरन जो करत आज सन्मुख में रहे राजि

सारत हैं सकल काज जै जै पितु मां की।४।


दोहा:-

कुट कुट मुरहा बने हो, मातु पिता को छोड़ि।

अन्त समय बतलाइये, कहां जाव मुख मोड़ि।१।

नुकता चीनी छोड़ि कै भजन करो एक तार।

ज़वाँ कतरनी बन्द करि निरखौं छबि सरकार।२।