२६ ॥ श्री राम बक्स जी ॥
पद:-
तन मन बेताब हुआ यार नटवर के मारे।१।
गृह पुर कछु न स्वहाय मिलिहौ कब प्यारे।२।
मुरली की तान सुनाय क्यों बान से मारे।३।
जान लबों पर आय तब आस निहारे।४।
पद:-
तन मन बेताब हुआ यार नटवर के मारे।१।
गृह पुर कछु न स्वहाय मिलिहौ कब प्यारे।२।
मुरली की तान सुनाय क्यों बान से मारे।३।
जान लबों पर आय तब आस निहारे।४।