३२ ॥ श्री बाबर शाह जी ॥
पद:-
आसमान का चूल्हा बनै औ पवन का हण्डा।
पानी क बनै ढक्कन औ अग्नि का कण्डा।
पृथ्वी कि बनै अग्नी यह मान लूँ ग मैं।
मुरशिद बिना न पार हो यह पान दूँ ग मैं।
यह कायदा खुदा ने दुनिया के हित बनाया।
कहता है बाबर शाह यह मैं सच सखुन सुनाया।६।