९४ ॥ श्री सहीद जान जी ॥
पद:-
ऐसी कमान अबरू से हरि तीर नजारा मारा।
चुभ गया हाय जिगर हो गया पारा पारा।
शिकार करके भला अपनी उठा लीजै तो।
तड़फ़ रही हूँ दिल बे पीर हमारा मारा।
ऐसा सय्याद कोई है न कभी होवैगा।
जिस को मारे है सो इस जग से न्यारा प्यारा।६।