१३९ ॥ श्री चिलबिली शाह जी ॥
पद:-
होय न पावै गुदरिया दागी।
नेकौ दाग अगर लगि जैहे ह्वै हो फ़ौरन बागी।
पांच तत्व की गुदरी प्रभु दियो बिधि हरि हर मिलि तागी।
अब जन चूकौ भजौ निरन्तर तन मन प्रेम से लागी।
ध्यान धुनी परकाश दशा लय लीजै सूरति पागी।
राम श्याम हरदम रहैं सन्मुख मलिन बासना भागी।६।
कर्म शुभाशुभ जरि तब जावैं प्रगटै ब्रह्म कि आगी।
सदा एक रस निर्भय जियतै तब जानो हम जागी।
ज्ञान बिराग करै सेवकाई हो पूरे अनुरागी।
अनहद सुनो देव मुनि आवैं कहैं तुम्हैं बड़भागी॥
कहैं चिलबिली शाह भजन बिन अन्त चलै तन सांगी।
नर्क में हाय हाय चिल्लैहौ खाल खींचि दें टांगी।६।